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मेट्रो का किराया बढ़ाने पर अड़ा डीएमआरसी, केजरीवाल ने किया विरोध!!

दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन (डीएमआरसी) किराया बढ़ाने जा रहा है

 

 


मेट्रो के प्रस्‍तावित किराया वृद्धि को लेकर डीएमआरसी और दिल्‍ली सरकार में तकरार बढ़ गई है. दिल्‍ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत द्वारा डीएमआरसी के प्रमुख मंगू सिंह को तलब करने के बाद भी मेट्रो किराया बढ़ाने पर अड़ा है.

इस वृद्धि के साथ किराया लगभग दोगुना हो जाएगा. इसीलिए केजरीवाल सरकार इसे जनविरोधी कदम बता रही है. कुछ महीने पहले तक अधिकतम किराया 32 रुपए था, जो बढ़ाकर 50 रुपए कर दिया गया था. अब 10 अक्‍टूबर से ये 60 रुपए हो जाएगा.

दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री ने क्या कहा?

दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने परिवहन मंत्री से कहा है कि वह मेट्रो किराया वृद्धि के प्रस्‍ताव को वापस लेने के विकल्‍पों पर विचार करें. उधर, मंगू सिंह ने कहा है कि ‘उन्‍होंने परिवहन मंत्री को बता दिया है कि किराया कैसे तय किया गया है. फिलहाल तो ये है कि किराया बढ़ाया जाएगा.’

मेट्रो में सफर करने वालों का क्या है कहना ?

मेट्रो से सफर करने वालों का कहना है कि एक तरफ सरकार सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने की बात कर रही है तो दूसरी ओर किराया बढ़ाते जा रही है. जबकि डीएमआरसी का कहना है कि किराया एक कमेटी तय करती है जो जनता से भी राय लेती है. ऐसे में सवाल ये है कि जनता में से वह कौन लोग हैं जिन्‍होंने किराया बढ़ाने की राय दी?

तीन सदस्‍यीय कमेटी तय करती है किराया

तीन सदस्‍यीय फेयर फिक्‍सेशन कमेटी दिल्‍ली मेट्रो का किराया तय करती है. इसका गठन केंद्रीय शहरी विकास विकास मंत्रालय ने किया हुआ है. इसमें दिल्‍ली सरकार का मुख्‍य सचिव, केंद्र का एक वरिष्‍ठ अधिकारी और एक रिटायर्ड जज सदस्‍य होते हैं.

यह जनता, सरकार और डीएमआरसी से सुझाव लेते हैं. इसके बाद कमेटी अपनी सिफारिशें डीएमआरसी बोर्ड में भेजती है. बोर्ड का चेयरमैन शहरी विकास मंत्रालय का सचिव होता है, वही किराये पर अंतिम फैसला लेता है.

बढ़ा है ऑपरेशनल खर्च

डीएमआरसी के मुताबिक मेट्रो का नेटवर्क बढ़ने के साथ ही रखरखाव का खर्च भी बढ़ रहा है. वर्ष 2008-09 में ऑपरेशनल (परिचालन) खर्च कुल राजस्‍व का करीब 55 फीसदी था. जो 2016-17 में बढ़कर 74 फीसदी तक हो गया है. मतलब ये हुआ कि यदि दिल्‍ली मेट्रो एक लाख रुपए एकत्र करता है तो 74 हजार परिचालन पर खर्च हो जाता है.

बाकी पैसे से रखरखाव होता है और लोन चुकाया जाता है. 2008-09 में बिजली की कीमत 3.21 रुपए प्रति यूनिट थी जो अब बढ़कर 6.58 रुपए यूनिट हो गई है. इसी तरह पहले एक किलोमीटर की मरम्‍मत और रखरखाव का खर्च एक करोड़ रुपए था जो अब बढ़कर 3.13 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. इन खर्चों की वजह से ही मेट्रो किराया बढ़ाने पर मजबूर है.




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